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तलाक और भरण-पोषण भत्ता: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विश्लेषण | बियानुची लॉ फर्म

तलाक और भरण-पोषण भत्ता: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विश्लेषण

23 जून 2022 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले संख्या 20228, तलाक और भरण-पोषण भत्ते के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय है। B.A. और D.B. के मामले का विश्लेषण करते हुए, अदालत ने भत्ते के निर्धारण के मानदंडों, अलगाव के कारणों और पति-पत्नी की आर्थिक स्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण प्रदान किए हैं।

मामला: B.A. बनाम D.B.

पालेर्मो की अदालत ने शुरू में D. के पक्ष में प्रति माह 2,500.00 यूरो का भरण-पोषण भत्ता और बेटियों के भरण-पोषण के लिए 4,000.00 यूरो का योगदान तय किया था। अपील अदालत ने निर्णय की पुष्टि करते हुए, D.B. पर अलगाव का आरोप लगाने से इनकार कर दिया, यह मानते हुए कि वैवाहिक संकट उनके वैवाहिक घर से अलग होने से पहले ही चल रहा था।

अपील अदालत ने पत्नी के अलग होने को वैवाहिक संकट का कारण नहीं बल्कि परिणाम माना, जो परिस्थितिजन्य साक्ष्य और गवाही पर आधारित था।

उठाए गए कानूनी मुद्दे

याचिकाकर्ता ने तीन मुख्य कारणों से अपील अदालत के फैसले को चुनौती दी:

  • तलाक और अलगाव के आरोप पर नियमों का उल्लंघन।
  • भरण-पोषण भत्ते के निर्धारण के मानदंडों का गलत अनुप्रयोग।
  • याचिकाकर्ता की आय घोषणाओं पर अपर्याप्त विचार।

सुप्रीम कोर्ट ने इन कारणों को निराधार पाया, यह पुष्टि करते हुए कि वैवाहिक संकट अलगाव से पहले ही मौजूद था और भरण-पोषण भत्ते का निर्धारण ठोस और मापने योग्य तत्वों पर आधारित था, जैसे कि विवाह के दौरान जीवन स्तर।

निष्कर्ष

यह निर्णय अलगाव और तलाक के संदर्भ में आर्थिक स्थितियों और संबंध की गतिशीलता के गहन विश्लेषण के महत्व पर प्रकाश डालता है। सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि भरण-पोषण भत्ते में न केवल कम संपन्न पति या पत्नी की आर्थिक आवश्यकताएं, बल्कि विवाह के दौरान आनंदित जीवन स्तर भी प्रतिबिंबित होना चाहिए, साथ ही इसमें शामिल पक्षों की वास्तविक आय क्षमता पर भी ध्यान देना चाहिए।

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